
दोस्तों, मैंने ये ब्लॉग “कृतज्ञता (Gratitude)” के विषय पर अपनी प्यारी बेटी अलीशा मसरूर के लिए लिखा है। इस लेख के ज़रिए मेरा मकसद है कि मैं उसे जीवन की उन मूलभूत बातों से परिचित कराऊं, जो इंसान को बड़ा नहीं, महान बनाती हैं। यदि आप भी अपने बच्चों को कृतज्ञता का भाव सिखाकर उनमें सकारात्मक बदलाव देखना चाहते हैं,
तो इस ब्लॉग को ध्यान से पढ़ें, समझें और अपने बच्चों को भी ज़रूर पढ़ाएं। आप चाहें तो इस लेख को उन लोगों के साथ भी साझा करें, जिन्हें आप दिल से चाहते हैं और जो आपके जीवन में किसी न किसी रूप में आभार के पात्र हैं। तो आइए, आज से एक नई शुरुआत करते हैं —कृतज्ञता के साथ जीने की। यहाँ तक पढ़ने के लिए दिल से शुक्रिया।
🔸अब शुरू करते हैं ब्लॉग की असली यात्रा…
अलीशा, आभार ही तुम्हारा गौरव बनेगा — एक पिता की दिल से लिखी प्यार भरी बातें।
- कृतज्ञता क्या है?
बेटी, ज़िंदगी में कुछ शब्दों का वज़न वक़्त के साथ गहरा होता जाता है। “कृतज्ञता” ऐसा ही एक शब्द है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है — ‘कृत’ (किया गया) और ‘ज्ञाता’ (जानने वाला)। कृतज्ञता का अर्थ है — जिसने तुम्हारे लिए कुछ किया, उसे याद रखना, उसका आभार व्यक्त करना।
मुझे याद है जब तुम छोटी थीं और तुम्हें सर्दी और खांसी के वजह से निमोनिया होने का डर था, तो मैं पूरी रात तुम्हारे लिए जगा रहता था और तुम्हे खुद से दवा खिलाता था जबकि नींद मुझे बहोत प्यारी है। वो मेरे लिए सिर्फ एक ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि एक सुख था — क्योंकि मेरा दिल जानता था कि तुम मेरे जीवन की सबसे प्यारी दुआ हो। मैं चाहता हूँ कि तुम भी किसी की दुआ बन सको — और इसके लिए तुम्हारा कृतज्ञ होना ज़रूरी है।
- कृतज्ञता प्रकट करना क्यों ज़रूरी है?
अलीशा, दुनिया में तुम्हारे पास सब कुछ नहीं होगा। कभी कुछ कम होगा, कभी कुछ ज़्यादा। लेकिन अगर तुम्हारा दिल आभार से भरा होगा, तो तुम कभी भी खुद को ख़ाली महसूस नहीं करोगी। जब तुम किसी की मुस्कान के लिए “धन्यवाद” कहना सीख जाती हो, तो तुम सिर्फ शब्द नहीं देतीं — एक संस्कार देती हो। और लोग कहेंगे — “ये बेटी तो अच्छे घर की परवरिश है।”
- हमें किन बातों के लिए कृतज्ञ होना चाहिए?
तुम्हारे जन्म से लेकर आज तक, तुम्हारा जीवन अनगिनत उपकारों का फल है:
तुम्हारी माँ: जिसने तुम्हारा हर दर्द खुद से पहले महसूस किया।
तुम्हारा पिता (मैं): जिसने हर सपना तुम्हारी आँखों से देखा।
तुम्हारे घर/परिवार के लोग : जिसने तुम्हें अपनी गोद में पनाह दी।
तुम्हारे दादा-दादी एवं नाना-नानी : जो हमेशा तुम्हारी भला चाहते हैं ।
आस-पास के लोग/रिश्तेदार : जिनका निस्वार्थ प्यार मिलना।
और ऊपर वाला: जिसने तुम्हें इस दुनिया में एक सुंदर आत्मा बनाकर भेजा।
- कृतज्ञता के लाभ:
बेटी, जब तुम शिकायत की जगह आभार चुनोगी, तो:
तुम्हारा चेहरा सदैव उज्ज्वल रहेगा।
तुम्हारा मन शांत और हल्का रहेगा।
तुम्हारे रिश्ते गहरे और मजबूत होंगे।
और सबसे बड़ी बात — तुम्हारा जीवन एक प्रार्थना बन जाएगा।
- सबसे पहले आभार किसके प्रति?
अलीशा, सबसे पहला और सबसे गहरा आभार उस ईश्वर / अल्लाह के प्रति होना चाहिए जिसने तुम्हें जीवन दिया, साँसें दीं, सोचने की शक्ति और अच्छाई को पहचानने वाला हृदय दिया। उसके बाद प्रकृति — जो बिना कोई माँग किए हमें सूरज की रोशनी, हवा, पानी, पेड़, फूल और जीवन के रंग देती है। फिर आभार उन लोगों के लिए जो तुम्हारे जीवन में मार्गदर्शक बनते हैं — तुम्हारे माँ और पिता, जिन्होंने न केवल तुम्हें जन्म दिया बल्कि तुम्हारे लिए हर मोड़ पर त्याग किया, गुरुजन, जो तुम्हें अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाने का प्रयास करते हैं , और वे रिश्तेदार, पड़ोसी व सच्चे मित्र, जो बिना स्वार्थ तुम्हारे दुःख को समझते हैं और तुम्हारे आँसुओं के पीछे की चुप्पी को भी पढ़ लेते हैं। और वो सभी चीजें जिसका योग दान तुम्हारे जीवन में हैं।
- धर्मों में कृतज्ञता:
हर धर्म में आभार को एक पवित्र भावना माना गया है:
हिंदू धर्म में ‘ऋण’ का सिद्धांत है — पितृ ऋण, गुरु ऋण, देव ऋण। अर्थात्, हर मनुष्य अपने पूर्वजों, अपने गुरुजनों और ईश्वर के प्रति ऋणी होता है, और जीवन का उद्देश्य इन्हीं ऋणों को कर्म और सेवा के माध्यम से चुकाना होता है।
इस्लाम में शुक्रगुज़ारी को ‘शुकर’ कहा गया है — हर नेमत (नियामत) के लिए अल्लाह का दिल से शुक्र अदा करना एक इबादत माना जाता है। क़ुरआन में कहा गया है: “अगर तुम शुकर अदा करोगे, तो मैं तुम्हें और दूँगा।”
ईसाई धर्म में कृतज्ञता को एक पुण्य (virtue) माना गया है। हर परिस्थिति में परमेश्वर का धन्यवाद करना वहाँ के आध्यात्मिक जीवन का एक अभिन्न अंग है।
बौद्ध धर्म में ‘माइंडफुलनेस’ (सजगता) के साथ-साथ ‘कृतज्ञता’ भी एक साधना है। यह जीवन को समझदारी, विनम्रता और सह-अस्तित्व की भावना से जीने की दिशा में प्रेरित करती है।
- महान लोगों का दृष्टिकोण:
- महात्मा गांधी
“हम जो दूसरों से पाते हैं, उसके लिए आभारी रहना ही मानवता का पहला धर्म है।”
गांधी जी मानते थे कि बिना कृतज्ञता के, इंसान अपने कर्तव्यों को ठीक से निभा ही नहीं सकता।
- ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
“आपका भविष्य उन्हीं लोगों से बना है जो आपके अतीत में आपके साथ खड़े थे — उन्हें मत भूलिए।”
कलाम साहब ने हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें अपने गुरुओं, माता-पिता और समाज के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।
- Mother Teresa (मदर टेरेसा)
“हम सभी को जीवन में बहुत कुछ मिला है, अब हमारी बारी है दूसरों के लिए कृतज्ञता दिखाने की।”
उनके लिए कृतज्ञता सेवा का पहला कदम थी।
- Albert Einstein (अल्बर्ट आइंस्टीन)
“हर दिन मैं खुद को यह याद दिलाता हूं कि मैं जिन लोगों की मेहनत से ज्ञान पा रहा हूं, उनके प्रति मैं आभारी हूं।”
विज्ञान के इस महान ज्ञानी ने भी माना कि कृतज्ञता के बिना इंसान अधूरा है।
इन महान व्यक्तियों ने अपने शब्दों और जीवन से यही बताया कि: कृतज्ञता कोई छोटी भावना नहीं, यह वो दृष्टिकोण है जो इंसान को ऊंचा उठाता है। यह सिर्फ “शुक्रिया” नहीं, बल्कि रिश्तों की नींव, संस्कारों की पहचान, और जीवन की सच्ची दौलत है।
- विज्ञान भी मानता है:
विज्ञान (Science) ने भी यह सिद्ध किया है कि “कृतज्ञता” केवल एक भावनात्मक या धार्मिक विचार नहीं है, बल्कि यह हमारे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। कई वैज्ञानिक शोधों और मनोवैज्ञानिक अध्ययनों ने यह साबित किया है कि “कृतज्ञता का अभ्यास” इंसान के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
🔬 विज्ञान का दृष्टिकोण: कृतज्ञता के बारे में क्या कहता है विज्ञान?
🧠 1. दिमाग पर असर (Brain Impact): जब हम आभार प्रकट करते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में डोपामिन और सेरोटोनिन जैसे “हैप्पी हार्मोन्स” रिलीज़ होते हैं। यह हमारे तनाव (Stress) को कम करता है और मूड को बेहतर बनाता है।
🧬 2. मनोविज्ञान (Psychology) में कृतज्ञता: अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. रॉबर्ट एमन्स (Dr. Robert Emmons) और डॉ. माइकल मैक्कुलो (Dr. Michael McCullough) ने कृतज्ञता पर गहराई से अध्ययन किया है। उन्होंने पाया कि जो लोग रोज़ाना आभार जताते हैं, उनमें: तनाव और डिप्रेशन की संभावना कम होती है आत्मविश्वास अधिक होता है नींद अच्छी आती है, रिश्ते बेहतर होते हैं।
❤️ 3. दिल और शरीर पर असर (Heart & Health Benefits): कृतज्ञता से ब्लड प्रेशर कम होता है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, नींद की गुणवत्ता बढ़ती है हृदय रोग की संभावना घटती है।
2015 की एक स्टडी में पाया गया कि जो हृदय रोगी कृतज्ञता का अभ्यास करते हैं, उनमें रोग के लक्षण तेजी से सुधरते हैं।
📓 4. जर्नलिंग और माइंडफुलनेस: वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि अगर हम हर दिन “Gratitude Journal” (आभार डायरी) लिखें, तो मानसिक स्वास्थ्य में अद्भुत सुधार होता है।सिर्फ 21 दिन तक रोज़ 3 चीजों के लिए धन्यवाद लिखना भी इंसान को सकारात्मक और संतुलित बना देता है।
🧪 वैज्ञानिक निष्कर्ष: क्षेत्र कृतज्ञता का प्रभाव, मानसिक स्वास्थ्य तनाव, चिंता, डिप्रेशन में कमी, शारीरिक स्वास्थ्य नींद में सुधार, कम ब्लड प्रेशर, रिश्ते लोगों से जुड़ाव और सहानुभूति में वृद्धि, कार्यस्थल प्रोडक्टिविटी और टीमवर्क में सुधार, शिक्षा छात्रों में आत्म-नियंत्रण और पढ़ाई में रुचि।
🔎 विज्ञान कहता है:
“Gratitude is not just a feeling, it’s a powerful health tool.”
(कृतज्ञता सिर्फ भावना नहीं, एक शक्तिशाली स्वास्थ्य औषधि है)
विज्ञान और अध्यात्म — दोनों यह मानते हैं कि “कृतज्ञ हृदय” वाला व्यक्ति ही वास्तव में👉 स्वस्थ,👉 संतुलित, और👉 सफल जीवन जी पाता है।
🌼कृतज्ञता क्यों ज़रूरी है?
मेरी प्यारी अलीशा, जैसे पौधे को पानी चाहिए जीने के लिए, वैसे ही एक इंसान के दिल को चाहिए — कृतज्ञता। यह कोई बोझ नहीं, बल्कि एक संवेदनशील आत्मा की पहचान है कृतज्ञता हमें यह याद दिलाती है कि हम जो हैं, जहां हैं, उसमें कहीं न कहीं किसी और का योगदान ज़रूर है — माँ-बाप का, गुरुजनों का, दोस्तों का, या खुद उस परमात्मा का।
🌟 तो कृतज्ञ होना ज़रूरी क्यों है?
- क्योंकि हम अकेले कुछ नहीं होते: जब एक बच्चा चलता है, तो माँ-बाप की उंगली थाम कर ही पहला क़दम रखता है। बिल्कुल वैसे ही, जीवन की राह में हम अकेले नहीं बढ़ते — हमें रास्ता दिखाने वाले, संबल देने वाले, और मुश्किलों में साथ निभाने वाले बहुत से लोग होते हैं। कृतज्ञता हमें याद दिलाती है कि “मैं जो कुछ भी हूँ, किसी न किसी के योगदान का परिणाम हूँ।”
- क्योंकि ये हमें इंसान बनाता है, सिर्फ पढ़ा-लिखा नहीं: डिग्रियाँ इंसान को ज्ञानी बना सकती हैं, पर कृतज्ञता उसे विनम्र और संवेदनशील बनाती है। जो इंसान दूसरों के लिए दिल में धन्यवाद रखता है, वो कभी घमंडी नहीं होता, वो हमेशा “मुझे क्या मिला” से ज़्यादा “मुझे किसने दिया” सोचता है।
- क्योंकि ये रिश्तों को मज़बूत करती है: एक छोटा सा “थैंक यू”, एक साधारण “आपका शुक्रिया”, कभी-कभी दो रिश्तों को जीवनभर के लिए जोड़ देता है। बिटिया, जब तुम अपने माँ-बाप, दादा-दादी, अपने शिक्षक, या किसी दोस्त का आभार जताओगी, तो उनके चेहरे की मुस्कान तुम्हारे मन को भी सुकून देगी।
- क्योंकि यह हमें शिकायत नहीं, समाधान सिखाती है: जो व्यक्ति कृतज्ञ होता है, वो हर कमी में भी कोई नेमत देख पाता है। वो कहता है — “मेरे पास जो है, वो काफी है।” शिकायतें मन को तोड़ती हैं, और कृतज्ञता दिल को जोड़ती है।
- क्योंकि यह जीवन को खूबसूरत बनाती है: जब हम सूरज की रौशनी, हवा की ठंडक, माँ की रोटी और पिता की मेहनत के लिए आभार जताते हैं, तो हर दिन एक उत्सव बन जाता है।
✍️ एक पिता का वचन: अलीशा, अगर तुम्हें जीवन में सच्चा सुख चाहिए — तो हमेशा आभारी रहना सीखो। हर उस व्यक्ति, परिस्थिति, और अनुभव के लिए धन्यवाद कहना सीखो
जिसने तुम्हें कुछ सिखाया हो — चाहे वो अच्छा हो या कठिन।
कृतज्ञता सिर्फ बोलने की चीज़ नहीं — ये जीवन जीने की कला है। जो बच्चा कृतज्ञ होता है, वही अच्छा इंसान, अच्छा नागरिक और सबका प्रिय बनता है। और यही एक माता-पिता की सबसे बड़ी सफलता है।
🌿 एक रोटी और एक याद – कृतज्ञता की कहानी:– बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक गरीब बच्चा रहता था — नाम था अर्जुन। उसके माँ-बाप गुजर चुके थे और वह दूसरे लोगों के खेतों में काम करके अपना पेट भरता था। एक दिन अर्जुन बहुत भूखा था। कई घरों से उसे भगा दिया गया था। थका-हारा, भूख से बेहाल, वो एक बूढ़ी अम्मा के दरवाजे पर पहुंचा और कांपती आवाज़ में बोला —“अम्मा… कुछ खाने को मिल जाता क्या?”
अम्मा ने देखा — नंगे पाँव, फटे कपड़े, चेहरा सूखा हुआ। बिना कुछ पूछे, वो अंदर गईं और अपनी आख़िरी एक रोटी अर्जुन के सामने रख दी। अर्जुन की आँखों में आँसू आ गए। उसने रोटी ली, अम्मा के पाँव छुए और कहा —
“मैं बड़ा होकर कुछ बनूंगा, और आपसे किया गया ये उपकार कभी नहीं भूलूंगा।”
समय बीतता गया… अर्जुन ने मेहनत की, पढ़ाई की, और आगे चलकर एक बड़ा डॉक्टर बन गया। फिर एक दिन, उसी गाँव में एक बीमार, बूढ़ी और अकेली औरत को शहर के अस्पताल लाया गया — वो अम्मा थीं। उनकी हालत बहुत नाज़ुक थी। कोई जानता भी नहीं था कि वो कौन हैं। अर्जुन ने जब उन्हें देखा, तो आँखों से आँसू बह निकले। उसने कहा —
“इस औरत ने मेरी भूख मिटाई थी… अब मैं इसका जीवन बचाऊंगा।”
उसने खुद अम्मा का इलाज किया, उनके रहने और खाने की व्यवस्था की — और जब वो ठीक हुईं, तो उन्हें अपने घर ले गया।
✨ सीख क्या है? एक वक़्त की दी गई एक रोटी ने अर्जुन के दिल में कृतज्ञता का बीज बो दिया, जो समय के साथ सेवा का वटवृक्ष बन गया।
📌 इस कहानी से हर बच्चे को ये सीखना चाहिए कि: कोई आपके लिए छोटा सा भी कुछ करे, तो उसे जीवनभर याद रखना चाहिए। असली इंसान वही होता है, जो मदद को भूले नहीं, और जब समय आए, तो उसे लौटाए भी। कृतज्ञता केवल “Thank you” कहने से नहीं होती, वो तब होती है जब हम किसी की अच्छाई को सम्मान और कर्म से वापस देते हैं।
🌿 शिकायत बनाम कृतज्ञता — सोच का फर्क, जीवन का परिणाम:- मेरी प्यारी अलीशा, ज़िंदगी में दो तरह की सोच होती है — एक जो हर बात में शिकायत ढूंढती है, और दूसरी जो हर बात में कृतज्ञता ढूंढती है।
🔍 शिकायत क्या है?
शिकायत वो नज़रिया है जिसमें इंसान हमेशा देखता है कि क्या नहीं मिला, क्या कम है, या क्या गलत है। शिकायतें छोटी-छोटी खुशियों को निगल जाती हैं। शिकायत करने वाला बच्चा हमेशा कहता है —
“मेरे पास नया खिलौना नहीं है।”
“माँ ने मेरी पसंद का खाना नहीं बनाया।”
“मेरे पास अच्छे कपड़े नहीं हैं।”
“पापा ने मुझे डांट दिया, इसलिए मैं नाराज़ हूँ।”
🌸 कृतज्ञता क्या है?
कृतज्ञता वो सोच है जिसमें इंसान ये देखता है कि उसे क्या मिला है, कितना पाया है, और किसने मदद की है।
कृतज्ञ बच्चा कहता है —
“मेरे पास खेलने को खिलौना है, चाहे पुराना ही सही।”
“माँ ने प्यार से खाना बनाया, मैं धन्य हूँ।”
“मेरे पास पहनने को कपड़े हैं, ये बहुत है।”
“पापा ने मुझे समझाया, ताकि मैं बेहतर बन सकूं।”
🌼 सोच का फर्क, जीवन का असर
| शिकायत करने वाला | कृतज्ञ रहने वाला |
| हर चीज़ में कमी देखता है | हर चीज़ में खूबसूरती देखता है |
| हमेशा असंतुष्ट रहता है | संतुष्टि और शांति में रहता है |
| खुद को दूसरों से कमतर मानता है | खुद को भाग्यशाली समझता है |
| रिश्तों में दूरी बना लेता है | रिश्तों में मिठास भर देता है |
| नकारात्मकता फैलाता है | सकारात्मकता और प्रेम फैलाता है |
❤️ एक पिता की सीख – शिकायत करने से पहले एक बार सोचो अलीशा, अगर कभी तुम्हारा मन किसी चीज़ से दुखी हो, तो एक पल के लिए आँख बंद कर लेना और सोचो —
“क्या मैं उस चीज़ के लिए भी आभार जता सकती हूँ?”
हो सकता है वो चीज़ तुम्हें पसंद न आई हो, लेकिन क्या वो किसी ने प्यार से, संघर्ष करके, या समय निकालकर दी है?
शिकायतें तुम्हें केवल दुख देंगी, लेकिन
कृतज्ञता तुम्हें सच्ची खुशी, सम्मान और अपनापन देगी।
🌈 तुम किसे चुनोगी? क्या तुम वो बच्ची बनना चाहोगी जो हमेशा शिकायत करती है और जीवन से नाखुश रहती है?
या वो बेटी बनना चाहोगी जो हर चीज़ में ईश्वर/अल्लाह और अपनों का आभार देखती है, और खुद को खुशनसीब मानती है? मुझे यकीन है, मेरी अलीशा, तुम हमेशा कृतज्ञता को ही चुनोगी। क्योंकि शिकायतें थकाती हैं, पर कृतज्ञता उड़ान देती है।
🌟 कृतज्ञता का महत्व — जीवन की सबसे सुंदर भावना:-
मेरी प्यारी अलीशा, कभी सोचा है, अगर सूरज रोज़ न उगे तो क्या होगा? अगर पेड़ हमें फल, छाया और ऑक्सीजन न दें तो? अगर माँ हर दिन बिना थके खाना न बनाए, और पापा थक कर भी तुम्हारी मुस्कान के लिए जी-जान न लगाएं?
तब शायद हम महसूस करें कि जो कुछ हमें “सामान्य” लगता है, वो असल में बहुत “असामान्य” रूप से अनमोल है।इसी एहसास का नाम है — कृतज्ञता।
🌿 कृतज्ञता क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह हमें अपने जीवन की सच्ची दौलत दिखाती है: जब हम आभार प्रकट करते हैं, तब हमें पता चलता है कि हमारे पास कितना कुछ है — प्यार करने वाले लोग, सीखने के अवसर, प्रकृति की गोद, स्वस्थ शरीर और एक सुनहरा भविष्य।
- कृतज्ञता रिश्तों को मजबूत करती है: जब तुम किसी की छोटी सी मदद के लिए भी “धन्यवाद” कहती हो, तो वह रिश्ता और गहरा हो जाता है। यह प्यार को बढ़ाता है, मनमुटाव को मिटाता है, और दिलों को जोड़ता है।
- यह दुख में भी सुकून देती है: जब जीवन कठिन हो, तब भी जो कुछ बचा है — उसका आभार जताना हमें सहनशील बनाता है। यह हमें शिकायत नहीं, समाधान की ओर ले जाता है।
- कृतज्ञता हमें विनम्र और सजग बनाती है:कृतज्ञ व्यक्ति कभी घमंडी नहीं होता। वह जानता है कि हर उपलब्धि में किसी न किसी का योगदान है — माँ का विश्वास, पिता का त्याग, गुरुओं की शिक्षा, और ऊपर वाले की कृपा।
- यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारती है: विज्ञान भी मानता है कि आभार जताने वाले लोग कम तनाव में रहते हैं, बेहतर नींद लेते हैं, और लंबे समय तक खुश रहते हैं।
❤️ बच्चों के लिए सबसे कीमती उपहार : अलीशा, दुनिया तुम्हें बहुत कुछ सिखाएगी — पैसे कमाना, सफलता पाना, आगे बढ़ना… लेकिन मैं चाहता हूँ कि तुम सबसे पहले ये सीखो कि जो है, उसका आभार कैसे मानना है।
क्योंकि जो बच्चा कृतज्ञ बनता है, वही बड़ा होकर इंसानियत का असली चेहरा बनता है।
🌈 कृतज्ञता का दीप जलाओ — हर दिन, हर पल :-
हर सुबह जब आँख खुले, तो ईश्वर का धन्यवाद करो।
हर बार जब माँ कुछ बनाकर दे, तो प्यार से मुस्कुरा दो।
हर बार जब पापा स्कूल छोड़ें, तो एक गले लगा लो।
हर बार जब कोई दोस्त मदद करे, तो सच्चा “शुक्रिया” कहो।
क्योंकि जिसने आभार जताना सीख लिया, उसने जीवन जीना सीख लिया।
🏙️ आधुनिक जीवन और कृतज्ञता — तेज़ भागती दुनिया में ठहराव का एक भाव
मेरी प्यारी अलीशा, आज का जीवन तेज़ है — बहुत तेज़। लोग सुबह उठते ही मोबाइल देखते हैं, दिन भर किसी न किसी दौड़ में लगे रहते हैं — कभी नंबर की, कभी पैसे की, कभी दिखावे की। हमारी इस आधुनिक जीवनशैली ने हमें बहुत कुछ दिया — सुविधाएं, तकनीक, आराम, तरक्की। लेकिन इसके साथ कुछ अनमोल चीज़ें कहीं पीछे छूट गई हैं — कृतज्ञता, संतोष, और रिश्तों का गहरापन।
🌀 क्यों छूट रही है कृतज्ञता इस आधुनिक दौड़ में?
क्योंकि लोग जो है, उस पर खुश होने की बजाय
जो नहीं है, उसके पीछे भाग रहे हैं।
क्योंकि सोशल मीडिया ने हमें तुलना करना सिखाया,
संतोष करना नहीं।
क्योंकि अब “Thank you” एक ऑटोमैटिक मैसेज बन गया है,
दिल से निकली भावना नहीं।
🪷 इस दौर में कृतज्ञता और ज़्यादा ज़रूरी हो गई है
अलीशा, आज जब दुनिया इतनी तेज़ है, तब कृतज्ञता तुम्हें ठहरना सिखाएगी। हर उस पल को देखना सिखाएगी जिसे लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जब कोई बस रुक कर तुम्हें रास्ता दे — आभार मानो। जब कोई दोस्त तुम्हारा हाल पूछे — धन्यवाद दो। जब माँ बिना कहे तुम्हारी पसंद का खाना बनाए — प्यार से सर झुका दो। जब पापा ऑफिस से थक कर भी तुम्हारे लिए मुस्कराएं — वो मुस्कान लौटा दो।
💡 टेक्नोलॉजी के युग में दिल से जुड़ाव ज़रूरी है मोबाइल से हम दुनिया से जुड़ सकते हैं, पर दिल से सिर्फ कृतज्ञता जोड़ती है। कितनी अजीब बात है ना — हम पूरी दुनिया की खबर रख सकते हैं, लेकिन अक्सर अपनी माँ की थकान, पापा की परेशानी, या दादी की चुप्पी नहीं समझ पाते।
इसलिए इस तेज़ दुनिया में भी अगर तुम दिल से धन्यवाद कहना न भूलो,
तो तुम भीड़ में अलग नजर आओगी —
और यही तुम्हें बड़ा बनाएगा।
🌈 तुम्हारा वर्तमान ही तुम्हारा गुरूर हो सकता है — अगर तुम कृतज्ञ बनो…….मेरी बच्ची, जब तुम बड़े हो जाओगी, इस दुनिया में सबकुछ मिलेगा — पैसा, शोहरत, सुविधाएं।लेकिन अगर दिल में कृतज्ञता नहीं होगी, तो सब अधूरा लगेगा।
क्योंकि आधुनिकता सुविधा देती है, पर कृतज्ञता जीवन में सुंदरता भरती है।
🤲 एक पिता की विनती — मेरी बेटी, मेरे दिल की बात,मेरी प्यारी अलीशा, जब तुम ये पंक्तियाँ पढ़ रही होगी, शायद तुम बड़ी हो चुकी होगी — अपने फैसले खुद लेने लायक, दुनिया को समझने लगी होगी, कभी-कभी मुझसे भी बहस कर लेने वाली बेटी बन चुकी होगी। और शायद मैं तुम्हें कम समझने वाला लगने लगूं… लेकिन आज, जब मैं ये शब्द लिख रहा हूँ, तब मेरी आँखों में तुम्हारे लिए एक सपना है — कि मेरी बेटी सिर्फ सफल नहीं, संवेदनशील भी हो। सिर्फ समझदार नहीं, कृतज्ञ भी हो।
🌸 मैं चाहता हूँ…मैं चाहता हूँ कि तुम इस दुनिया में सबकुछ हासिल करो, लेकिन उस सबकुछ को पाकर भी विनम्र रहो। मैं चाहता हूँ कि तुम आगे बढ़ो,
पर पीछे देख कर यह न भूलो कि किसके कंधे पर चढ़कर तुम ऊँचाई तक पहुँची। मैं चाहता हूँ कि तुम्हारे पास अच्छे कपड़े हों, पर तुम हमेशा न थकने और काम करते रहने वाली वाली दादी के हाथों को न भूलो। मैं चाहता हूँ कि तुम खूब नाम कमाओ, पर उस माँ के आँचल की छाँव को न बिसराओ, जिसने कभी अपनी नींद गिरवी रखी थी तुम्हारे सपनों के लिए।
🌱 मेरी प्यारी बच्ची… कभी किसी के दिए एक फूल पर मुस्कुरा देना, कभी किसी अनजान की मदद कर देना, कभी खाने की एक थाली देख कर उसका शुक्रिया अदा कर देना —ये सब तुम्हें इंसान बनाएगा।
दुनिया डिग्री से नहीं,
तुम्हारी संवेदना और कृतज्ञता से तुम्हें पहचाने —
मैं बस यही चाहता हूँ।
🙏 एक छोटी सी विनती…अगर कभी तुम्हें लगे कि जीवन कठिन है, तो शिकायत करने से पहले देख लेना, क्या उस कठिन समय में भी कोई तुम्हारे साथ खड़ा था? अगर हाँ, तो बस उस एक इंसान के लिए कृतज्ञ बन जाना — क्योंकि वही तुम्हारी ताकत बनेगा।
❤️ **मैंने तुम्हें सबकुछ नहीं दिया हो सकता, पर कृतज्ञता सिखाने की कोशिश ज़रूर की है। उसे अपनाना मेरी सबसे बड़ी जीत होगी।*
👨👧 एक पिता का निर्णय — अपनी बेटी के लिए एक सच्चा उपहार
मेरी प्यारी अलीशा बेटी, इस दुनिया में बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को बड़ा बनाना चाहते हैं — बड़ी डिग्रियाँ, बड़ी नौकरियाँ, बड़ी कारें और बड़ा नाम। लेकिन मैंने एक अलग राह चुनी है। मैं चाहता हूँ कि तुम्हारे पास एक बड़ा हृदय हो — विनम्र और कृतज्ञ।
💡 मेरा निर्णय साफ है…मैं तुम्हें दुनिया की हर सुविधा नहीं दे सकता, पर मैं तुम्हें संवेदना, समझ और आभार का संस्कार ज़रूर दूंगा। मैं तुम्हारे लिए महंगे खिलौने नहीं लाया,
पर मैंने तुम्हें दूसरों की मदद को सबसे बड़ा खेल सिखाया। मैंने तुम्हारे लिए बड़ी बड़ी कहानियाँ नहीं गढ़ी, पर मैंने तुम्हारे सामने सच्चे रिश्तों और छोटे पलों की कद्र को जीकर दिखाया।
🌱 क्योंकि मैंने ये निर्णय लिया है… कि जब तुम बड़ी होओ, तो तुम्हें ये याद रहे कि जीवन किसी की छांव में गुज़रा, किसी की दुआओं से संवरता गया, और किसी की मूक सेवा से चलता गया।
💖 मेरा निर्णय है कि… तुम्हारी सफलता सिर्फ मार्कशीट की नहीं होगी, बल्कि उस दिन होगी जब तुम किसी सफाईकर्मी को मुस्कुराकर धन्यवाद कहोगी। तुम्हारी सुंदरता सिर्फ चेहरे की नहीं होगी, बल्कि उस करुणा में होगी जिससे तुम किसी रोते को चुप कराओगी। और तुम्हारा आत्मविश्वास सिर्फ बोलने में नहीं, बल्कि उस मौन में होगा जो दूसरों के योगदान को चुपचाप स्वीकारता है।
🕊️ यह मेरा निर्णय है — एक पिता का, एक शिक्षक का, एक साधारण इंसान का… कि अगर मेरी बेटी कृतज्ञ बन गई, तो समझो मैंने इस दुनिया को एक बेहतर इंसान दिया है।
अलीशा, मैं तुम्हें वो नहीं बनाना चाहता जो दुनिया चाहती है, मैं तुम्हें वो बनाना चाहता हूँ जिससे दुनिया बेहतर हो। और इसके लिए मैंने तुम्हें कृतज्ञता की सीख देने का निर्णय लिया है —यह मेरा सबसे पवित्र, सबसे सच्चा और सबसे जीवनदायी निर्णय है।
❤️ एक पिता का वादा — मेरी बेटी अलीशा से :-
बेटी, तू जब छोटी थी, तो तेरी उँगलियाँ मेरी ऊँगली में उलझी रहती थीं, अब तू बड़ी हो रही है, धीरे-धीरे मेरी उँगली छूट रही है, लेकिन आज भी मेरा दिल तुझसे उतना ही जुड़ा है —जितना पहली बार तुझे अपनी बाँहों में उठाया था।
🙏 इसलिए आज तुझसे एक वादा करता हूँ… मैं तुझे इस दौड़ती दुनिया की चमक-दमक के पीछे अंधा नहीं होने दूँगा। मैं तुझे सिर्फ ऊँचा उड़ना नहीं सिखाऊँगा, बल्कि वो ज़मीन भी दिखाऊँगा, जहाँ से उड़ान की असली ताक़त मिलती है — कृतज्ञता की ज़मीन। मैं तुझे दूसरों से आगे बढ़ना सिखाऊँगा, लेकिन साथ ही ये भी सिखाऊँगा कि किसी के योगदान को भूलकर कभी आगे मत बढ़ना।
🌸 मैं वादा करता हूँ… जब तू जीवन में सफलता पाएगी, तो मैं तुझे ये सिखाऊँगा कि कितने अनदेखे हाथों ने तुझे वहाँ तक पहुँचाया है। जब तू थक जाएगी, परेशान होगी, मैं तुझे सिखाऊँगा कि किस तरह एक आभारी मन हर परिस्थिति में सुकून ढूँढ़ लेता है। जब तुझे लगे कि दुनिया निष्ठुर हो गई है, मैं तुझे ये दिखाऊँगा कि कृतज्ञता ही वो चाबी है जो दिलों के दरवाज़े खोलती है।
🌷 अलीशा, तू चाहे जहाँ भी हो… मैं हर दुआ में तुझे यही वरदान दूँगा — कि तेरे चेहरे पर मुस्कान हो, तेरे दिल में विनम्रता हो, तेरे जीवन में कृतज्ञता हो।
क्योंकि अगर तू कृतज्ञ बन गई —
तो समझ लेना, तेरे पिता की परवरिश सफल हो गई।
🌈 **यही मेरा वादा है — एक पिता का, जो तुझसे बेइंतहा मोहब्बत करता है।**तेरा पापा (जिनकी सबसे प्यारी पहचान अब बस इतनी है — “अलीशा का पिता”
🌟 अंतिम संदेश — एक पिता की अंतिम सीख
मेरी लाडली अलीशा, इस पूरी दुनिया में बहुत से लोग दौड़ रहे हैं — कुछ नाम के पीछे, कुछ पैसे के पीछे, कुछ शोहरत के पीछे। लेकिन उनमें से बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो “धन्यवाद” कहना जानते हैं, जो जानते हैं कि हर उपलब्धि के पीछे किसी न किसी का योगदान छुपा होता है — माँ की ममता, पिता की मेहनत, गुरु की शिक्षा, और परमात्मा की कृपा।
आज मैं तुझसे यही कहना चाहता हूँ: 👉 बड़ी बनना, लेकिन बड़े मन से।
👉 आगे बढ़ना, लेकिन पीछे खड़े हाथों को मत भूलना।
👉 सपने देखना, लेकिन नींव में हमेशा आभार का पत्थर रखना।
कृतज्ञता तुझे इंसान बनाएगी — और ऐसा इंसान जो सिर्फ सफल नहीं, बल्कि सम्मानित, प्यारा और याद रखने लायक होगा।
💌 मेरी यह बात केवल तुझसे नहीं है… हर माँ-बाप, हर शिक्षक, हर पढ़ने वाले बड़े-बुज़ुर्ग से मेरी दिल से प्रार्थना है — कि अपने बच्चों को सिर्फ स्मार्ट, तेज़ और कामयाब न बनाएं, बल्कि उन्हें कृतज्ञ बनाएं। क्योंकि अगर हमने उन्हें “शुक्रिया कहना” सिखा दिया, तो हमने उन्हें सबसे कीमती संस्कार दे दिया।
🌈 और अलीशा…
अगर कभी ज़िंदगी कठिन लगे,
तो किसी का दिया हुआ प्रेम याद करना।
अगर कभी अकेली महसूस करो, तो ऊपरवाले की हर रोज़ की नेमतें गिनना। और अगर कभी खो जाओ, तो अपने दिल की उस जगह लौट जाना, जहाँ आभार की भावना सबसे गहराई से धड़कती है।
यह ब्लॉग सिर्फ एक पिता के प्रेम भरे शब्दों का संग्रह नहीं है,
बल्कि हर माँ, पिता, गुरु और इंसान के लिए एक आईना है —
जो बताता है कि अगर हमने अपने बच्चों को कृतज्ञ बनाना सिखा दिया,
तो हमने उन्हें सच्चे मायने में जीना सिखा दिया।
This article is written by David Masroor

